हेमा फाउंडेशन द्वारा विकसित विद्यालयों के लिए नैतिक शिक्षा के 4 वर्षों का पाठ्यक्रम का विमोचन
by Najuka G
इस पाठ्यक्रम को व्यापक पैमाने पर क्रियान्वित करने हेतु दिनांक 25 जून 2018 को सायंकाल 5.45 बजे रवींद्र नाट्य मंदिर, मुम्बई में महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री आदरणीय श्री विनोदजी तावड़े, मुंबई के महापौर आदरणीय श्री विश्वनाथ महादेश्वर, एमएडीसी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आदरणीय श्री सुरेशजी कांकानी एवं इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन के प्रसिडेंट आदरणीय डॉ. ए. आर. के. पिल्लै एवं फ़िल्म अभिनेता माननीय श्री मनोज जोशी की गरिमामय उपस्थिति में "हेम दिशा" का विमोचन होगा, जिसमें आप सादर आमंत्रित है।
इस पाठ्यक्रम को तैयार करने में डॉ. संजय मालपानी (बाल मनोविज्ञानी), डॉ. श्रीमती चीनू अग्रवाल (मनोविज्ञानी एवं मनोचिकित्सक), डॉ. नागपाल सिंह (शिक्षाविद एवं शोधकर्ता), डॉ. हरीश शेट्टी (बाल-मनोचिकित्सक), श्री शिव खेड़ा (मोटिवेशनल ऑथर) का विशेष मार्गदर्शन लिया गया है, ताकि इसका विशेष रूप से बच्चों पर प्रभाव पड़े। पाठ्यक्रम में 32 नैतिक मूल्यों के विषयों का समावेश किया गया है, जिसमें 8 विषय एक वर्ष के कार्यक्रम में सम्मलित है। मार्गदर्शिका में शिक्षकों के लिए "एक माह : एक जीवन मूल्य" विद्यालय में संचालन करने के लिए दिशानिर्देश भी दिए गए हैं।
हेमा फाउंडेशन की न्यासी एवं क्रिएटिव डायरेक्टर श्रीमती अनिता माहेश्वरी ने नैतिक मूल्यों के इन विषयों पर गहराई से अध्ययन कर इसे प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया है तथा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी महेन्द्र काबरा का आह्वान है कि नैतिक शिक्षा पर निर्मित इस पाठ्यक्रम को व्यापक रूप में कार्यान्वित किया जाना चाहिए जिससे समाज में नैतिक शिक्षा के प्रति क्रांति एवं जागृति आए।
हेमा फाउंडेशन विद्यालय के संचालक, प्रधानाचार्य, शिक्षाविद, समाजशास्त्री, बाल मनोविज्ञानी से निवेदन करता है इस उपक्रम से आप सभी जुड़कर इसे व्यापक रूप देकर इसे प्रत्येक विद्यालय व प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुँचाएं। नैतिक शिक्षा का यह पाठ्यक्रम विद्यालयों को निःशुल्क दिया जाएगा।
सूचना-प्रद्योगिकी गति को ध्यान में रखते हुए हेमा फाउंडेशन- मोबाइल ऐप विकसित किया गया है। जहाँ से पुस्तक-सामग्री एवं प्रतियोगिता संबंधी जानकारी डाउनलोड की जा सकती है। अगर किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो, तो कृपया हमें admin@hemafoundation.org पर संपर्क करें।
हेमा फाउंडेशन, 'राम रत्ना ग्रुप' की सामाजिक गतिविधियों की एक परोपकारी इकाई है। बच्चों को उनकी संवेदनशील आयु में संस्कारित और नैतिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक अभिनव प्रयास है। हेमा फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य- ''बच्चों में अभिभावक, समाज व राष्ट्र के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का बोध करवाना है, जिससे वे जागरूक एवं उत्तरदायी नागरिक बन सके।’’
नैतिक शिक्षा के महत्व को सुदीर्घ काल से स्वीकार किया गया है, किन्तु शिक्षा प्रदान करने की प्रभावी प्रणाली सुनिश्चित नहीं की गई है। दृश्य-प्रभाव सर्वाधिक प्रभावशाली होता है। इस त थ्य को ध्यान में रखते हुए हेमा फाउंडेशन की स्थापना परम पूज्य स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरिजी के प्रेरणामय आशीर्वाद से 25 जून 2016 को शुभारंभ हुआ।
हेमा फाउंडेशन जो बच्चों के उम्र के अनुसार गुणों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मूल्यों पर लघु फिल्मों को बनाया है। जैसे छोटी उम्र में…मातृ-पितृ भक्ति, ईश्वर भक्ति, मृदुभाषा, आज्ञापालन, विनम्रता तथा अहिंसा, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी तथा साहस, सत्य, सेवा तथा दक्षता। किशोर अवस्था में... देश-प्रेम, दान तथा संस्कृति प्रेम, संकल्प, दृढ़ निश्चय, सादगी एवं सरलता, एकाग्रता तथा आध्यात्म आदि।
हमारी कल्पना है कि हमारा प्रयास सरल और सीधा हो, जो बच्चों के मन के तारों को झंकार सके और उनके दिलों को छू सके। आज के बच्चों के व्यावहारिक पक्षों के अनुरूप ही कहानियों का प्रस्तुतिकरण किया गया है। इन फिल्मों में सशक्त-सार्थक संद͊ श प्रदान किये गये हैं। जब तक नैतिक मूल्यों के प्रति भावना जागृत नहीं होंगे तब तक बच्चें नहीं सिख सकतें। डॉ. अब्दुल कलाम ने कहा था- “आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, पर आपनी आदतें तो बदल सकते हैं! और बदली हुई आदतें आपका भविष्य बदल देंगी!”
नैतिक शिक्षा की यह पद्धति बच्चों के दिल और दिमाग में विशिष्ट मुद्दों को पहुंचाने की उच्च प्रभावशाली प्रणाली सिद्ध हो रही है और इसका प्रतिसाद भी अपेक्षाकृत मिल रहा है।
इससे प्रेरित होकर "हेम-दिशा" शिक्षक मार्गदर्शिका में सुवाक्य, संस्कृत श्लोक, संवाद, प्रेरक कहानियाँ, कविताएँ, प्रेरणादायी नाटिकाएँ, चित्रकला, खेल-खेल में सिखाना एवं पहेलियों आदि को लिपिबद्ध किया गया है। यह अत्यन्त रुचिकर एवं सरल भाषा में होने के कारण बच्चों में उत्साहपूर्वक सिखने की मनोवृति जागृत होगी तथा बच्चे आनंद के साथ सुगमतापूर्वक सीख सकते हैं।
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